तेलअवीव. इजराइल और फिलिस्तीन के बीच अभी एक भयंकर युद्ध चल रहा है और दोनों तरफ से गोला बारी चल रही है। ऐसे में हमारे युद्ध रिपोर्टर ने इजराइल के सुरक्षा तंत्र की रीढ़ माने जाने वाले लौह गुम्बद सिस्टम से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उनका हाल चाल जाना और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इसी साक्षात्कार के कुछ अंश हम अपने पाठको के लिए लाये है।
संवाददाता : नमस्कार , लौह गुम्बद भैया , क्या हाल चाल ?
आयरन डोम : नमस्ते नमस्ते, बस सब बढ़िया है भैया, बाकी आप तो सब जानते ही हो, आजकल काम बहुत है दिन रात बिजी चल रहा है | ये साले फिलिस्तीनियों ने अति कर रक्खी है |
संवाददाता : आप हमारे पाठको को इस समय चल रहे राकेट हमले के बारे में कुछ बताये।
आयरन डोम : अरे क्या बताये भैया, गजब भसड़ है ये पलिस्तीनी ससुरे दनादन राकेट पे राकेट दागे जा रहे है। उस चक्कर में हमें दिन रात जागना पड़ता है और इंटरसेप्ट करना पड़ता है।
इन लोगो का तो राकेट सस्ता होता है , साला टीन के डब्बे में गनपाउडर , छर्रा , शीशा, कपूर , कंचा और मिर्ची भर के इधर फेंक देते है। आधा तो उनके ऊपर ही फट जाता है लेकिन बाकी जो इधर आते है वो अपनी जिम्मेदारी है।
संवाददाता : अपने इंटरसेप्टर राकेट के बारे में कुछ बताइये।
आयरन डोम : देखिए भैया, हमारे इंटरसेप्टर भाइयो में गजब तामझाम है। जीपीएस , हीट सीकर और प्रोक्सिमिटी फ्यूज सब लगा हुआ है और इससे इनका दाम बढ़ जाता है। फिलिस्तीनी फुस्सी राकेट से बहुत ज्यादा महंगे है। कभी कभी तो मन ही नहीं करता अपना इत्ता महंगा राकेट बर्बाद करने का। लेकिन क्या किया जाए, काम तो काम है। क्यों भैया ?
संवाददाता : सही कहा आपने, पिछले हमलो और इस हमले में क्या अंतर है ?
आयरन डोम : इस बार ससुर के नाती फिलिस्तीनी हमारी कमजोरी जान गए है और एक-दो राकेट की जगह अब एक साथ सौ- डेढ़ सौ राकेट दाग रहे है। अब सौ में से साठ-सत्तर तो पहुंच नहीं पाता, रस्ते में ही निपट जाता है लेकिन तीस के करीब आ रहे है और उसके लिए हमें अपना महंगा-महंगा राकेट दागना पड़ता है |
हमारे तो रॉकेट ही ख़तम हो जाते है और जल्दी जल्दी भरना पड़ता है।और इतने ज्यादा भसड़ में एक आध चूक तो हो ही जाती है।
संवाददाता : फिर आपकी क्या स्ट्रेटेजी है ?
आयरन डोम : भैया, हम तो अब बूढ़ा गए है ,अब हमारा छोटा भाई ‘लेजर वाला’ हमारी जगह लेगा, अभी लौंडा तैयार हो रहा है उसके पास लेजर गन है वो इन सब का चुन-चुन के बदला लेगा। तब तक तो हमें ही ठाय-ठाय करनी है। “लो ये एक और राकेट आ गया , चल भाई बंटी, निकल जा और लपक के इस फिलिस्तीनीन कचरे की टांट फोड़ दे” । (ऐसा कहकर गुम्बद भाई ने एक इंटरसेप्टर राकेट डेप्लॉय कर दिया )
बाद में बात करता हूँ भाई। अभी थोड़ा काम आ गया है।
अचानक से हुए हमले की वजह से हमें ये इंटरव्यू रोकना पड़ा। हम युद्ध से जुड़े हर पहलु पर सबसे ताजा खबर आप तक पहुंचाते रहेंगे।