धिम्मी यहाँ पाए जाते है

अर्थ:
इस्लाम में धिम्मी उस व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को कहते हैं जो मुसलमान नहीं है और शरियत कानून के अनुसार चलने वाले किसी राज्य की प्रजा है।

इस्लाम के अनुसार इन्हें जीवित रहने के लिये कर (टैक्स) देना अनिवार्य है जिसे जजिया कहा जाता है। धिम्मी को मुसलमानों की तुलना में बहुत कम सामाजिक और कानूनी अधिकार प्राप्त होते हैं। लेकिन यदि धिम्मी इस्लाम स्वीकार कर ले तो उसको लगभग पूरा अधिकार मिल जाता है।

आजकल धिम्मी उन बेवकूफ हिन्दुओ को भी कहा जाता है जिन्हे अपने हिन्दू धर्म में सारी कमिया नजर आती है। जो मुस्लिम समाज को खुश करने के लिए मुस्लिम प्रतीकों के प्रति प्रेम अथाह प्रेम दर्शाते है जैसे कि दरगाह जाकर माथा रगड़ना और चादर चढ़ाना, दिखावे के लिए रोजा रखना इत्याद।
एक असली धिम्मी होली के त्यौहार पर दो बाल्टी पानी की बचत के सन्देश देता है और साल के बाकि दिन अपनी गाडी धोने में पांच बाल्टी पानी बर्बाद कर देता है।

धिम्मी एकतरफ़ा धर्मनिरपेक्षता की ग़लतफ़हमी में अपना सारा जीवन बिता देता है।

समानार्थी:
बेवकूफ हिन्दू

विलोम:
धार्मिक

वाक्य प्रयोग :

  • दरगाह पर चादर चढाने गए धिम्मी हिन्दुओ को मुसलमानो ने दौड़कर पीटा
  • गजब का धिम्मी बन गया है ये आदमी, एकादशी का व्रत नहीं रखा जाता और दिखने के लिए रोजे रख रहे है

टिप्पणी:
वैसे तो धिम्मी कोई अपमानजनक शब्द या गाली नहीं है लेकिन इसके प्रयोग से भी लोग भड़क सकते है। धिम्मीपन का कारण मूलतः इस्लामी अधीनता में लंबे समय रहते की वजह से जो हीन-भाव था वही उन का स्वभाव बन गया है, और ये इतना अंदर पैठ कर गया है कि इस्लामी शासन से मुक्त हो जाने पर भी धिम्मियो के व्यवहार में दूसरे धर्म के प्रति विशेष आदर और डर आदतन बना रहता है।

धीरे धीरे धिम्मीपन देश को गर्त की तरफ ले जा रहा है। धिम्मी न बने। जब कोई आपका त्यौहार मनाये तभी आप उनका त्यौहार मनाये। अपने धर्म, प्रतीकों और राष्ट्र से प्रेम करे।