interview_nidhi

प्रोफेसर निधि राजदान को आया हॉगवर्ट्स मैजिक स्कूल से कॉल, ‘गुप्त कलाओ से रक्षा’ की लेंगी क्लास

नई दिल्ली. एक पुरानी चीनी कहावत है कि शिद्दत से किसी चीज को चाहो तो मिल ही जाती है। मशहूर पत्रकार निधि राजदान के साथ भी यही हुआ। कभी हारवर्ड यूनिवर्सिटी में नौकरी के चक्कर में धोखा खायी निधि के हौसले को आज दुनिया सलाम कर रही है। और क्यों न हो , उन्हें हॉगवर्ट्स स्कूल ऑफ़ मैजिक से प्रोफेसर का जॉब ऑफर जो मिला है। ख़ुशी से फूली नहीं समाती निधि ने ट्वीट कर के ये जानकारी दी। “मैं जा रही हूँ हॉगवर्ट्स, अब चलेगा जादू , ऐवाडा केडावरा!

हमारे संवादाता ने निधि को बधाई देते हुए उनसे कुछ सवाल पूछे। जिनका कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है।
संवाददाता : बधाई हो मैम, आपने हॉगवर्ट्स में अप्लाई कैसे किया ?
निधि : (मुस्कुरा कर बोली ) मैंने अप्लाई नहीं किया था। बस मेरी प्रोफाइल देखकर हॉगवर्ट्स वालो का खुद ही ईमेल और कॉल आया था फिर उन लोगो ने खुद ही इंटरव्यूज शेडूल कर दिए तो मैंने बोला ओके ओके बाबा, लेटस डू इट “

संवाददाता :इंटरव्यू के बारे में कुछ बताईये , कोई फीस देनी पड़ी ?
निधि : इट वाज टफ ! पूरे फाइव राउंड्स हुए। फर्स्ट राउंड हैग्रिड और बाद में हेडमास्टर डम्बलडोर और प्रोफेसर स्नेप ने आखिरी राउंड का इंटरव्यू लिया। सारे इंटरव्यू पूरी तरह ऑनलाइन थे और मुझे कही आना जाना नहीं पड़ा। वे लोग कोविड को लेकर काफी सेंसिटिव थे। मुझे बस जोइनिंग फीस में पचास हजार रुपये उनके देना बैंक के अकाउंट में देने पड़े ।

संवाददाता : आप कौन सा सब्जेक्ट पढ़ाने वाली है।
निधि : (हंस पड़ी ) हेडमास्टर डम्बल्डोर ने मुझे कई सारे सब्जेक्ट्स में से एक सेलेक्ट करने को कहा तो मैंने डार्क आर्ट्स (गुप्त कलाओ से रक्षा ) वाला ले लिया क्योकि इट वास एक्ससाइटिंग

संवाददाता : कब से क्लासेज शुरू होने वाली है।
निधि: (परेशान होकर) हेडमास्टर डम्बल्डोर ने मुझे लंदन बुलाया है और किसी रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर 9 के आस पास आने को कहा है। लेकिन लंदन की फ्लाइट्स बंद है तो पता नहीं , शायद दिसंबर में ज्वाइन करुँगी।

संवाददाता : ये सब थोड़ा अजीब लग रहा है। इस बार तो धोखा नहीं होगा न ?
निधि : (बिफरते हुए), बिकुल नहीं, मैंने सब कुछ वेरीफाई किया है। मैंने नेट से देखकर उन सबकी शक्लें भी मैच की। डम्बल्डोर की दाढ़ी और स्नेप का काला चोगा सब कुछ सेम था। गरम शोरबे का जला सेवइया भी फूक फूक कर पीता है। भैया मैं भी जर्नलिस्ट हूँ कोई ऐसी-वैसी नहीं हूँ। ये देखो , मैंने तो अपना एक उल्लू भी खरीद लिया है। ( पिजड़े में सोते हुए उल्लू को दिखाते हुए निधि ने बताया)

हमारे संवाददाता ने निधि को एक बार फिर बधाई दी और अपना झोला लेकर निकल लिया। हम तो अब भगवान् से उम्मीद ही करेंगे की निधि जी के साथ दोबारा धोखा न हो और वे हॉगवर्ट्स में एक सफल ‘गुप्त कलाओ से रक्षा ‘की टीचर बने।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *